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Showing posts from December, 2020

शेयर मार्केट काम कैसे करता है,शेयर मार्केट के प्रकार:

  शेयर मार्केट काम कैसे करता है ? शेयर मार्केट एक ऐसा बाजार है जहां लोग शेयर खरीदने और बेचने के लिए एक व्यापार का हिस्सा बन सकते हैं। यह वित्तीय बाजार एकत्रित धन को बढ़ावा देता है और उद्यमियों को पूंजीपति के लिए वित्तीय संसाधन प्रदान करने में मदद करता है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम शेयर मार्केट के काम के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे और यह जानेंगे कि शेयर मार्केट में व्यापार कैसे होता है। शेयर मार्केट के प्रकार: शेयर मार्केट विभिन्न प्रकार के होते हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं: प्राथमिक बाजार:   प्राथमिक बाजार में कंपनियां अपने पहले सार्वजनिक अवसरों के लिए अपने शेयर बेचती हैं। यह नई कंपनियों के लिए आवंटन का स्रोत होता है और इन्वेस्टरों को उनके शेयर खरीदने की सुविधा प्रदान करता है। सेकेंडरी बाजार:   सेकेंडरी बाजार में शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं, जो पहले से ही प्राथमिक बाजार में आवंटित हो शेयर मार्केट में पैसे कैसे लगाएं शेयर मार्केट में पैसे लगाना एक उच्च वापसी और निवेश का माध्यम हो सकता है, लेकिन यह निवेश शोध, जागरूकता और विचारशीलता की जरूरत रखता है। यदि आप शेयर मार्केट में

आय या प्रतिफल मूल्यांकन विधि yield Valuation method

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  आय या प्रतिफल मूल्यांकन विधि (yield Valuation method) आय या प्रतिफल मूल्यांकन विधि में अंशो पर प्राप्त आय या प्रतिफल के आधार पर किया जाता है शुद्ध संपत्ति विधि की तुलना में यह विधि अधिक लोकप्रिय है इसमें अंशु का मूल्यांकन निम्न आधारों पर किया जाता है A लाभांश दर के आधार पर B अपेक्षित प्रत्याय दर के आधार पर C उपार्जन क्षमता के आधार पर अंशु के मूल्यांकन की क्यों और कब आवश्यकता है ?देखने के लिए क्लिक करें (A) लाभांश दर के आधार पर मूल्यांकन(on the basis of dividend rate) इसके अंतर्गत प्रत्येक अंशो का मूल्यांकन कंपनी द्वारा घोषित लाभांश की दर को सामान्य प्रत्याय की दर से भाग देकर प्राप्त भजन फल में अंशो के चुकता मूल्य का गुना कर किया जाता है इसी निम्नानुसार और अधिक स्पष्ट किया जा सकता  है। सूत्र- अंशो का मूल्य = लाभांश की दर ÷प्रत्याय की सामान्य दर × अशो पर चुकता मूल्य  लाभांश की दर लाभांश की दर से आशय उस दर से है जिस पर कंपनी द्वारा लाभांश की घोषणा की जाती है यदि प्रश्न में लाभांश किधर उल्लेखित ना हो तो इसकी गणना निम्नानुसार की जा सकती है सूत्र- लाभांश की दर= प्राप्त लाभांश ÷ अंश का

अंशो के मूल्यांकन की विधियां?, अंशु के मूल्यांकन की कितनी विधियां होती हैं

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अंशो के मूल्यांकन की विधियां? (method of valuation of shares) अंशु के मूल्यांकन की क्यों और कब आवश्यकता है ?देखने के लिए क्लिक करें भारतीय कंपनी अधिनियम की बात की जाए तो अंशो के मूल्यांकन की कोई विशेष विधि का उल्लेख नहीं है कंपनी अपने पार्षद अंतर नियमों द्वारा अंशो के मूल्यांकन की विधिया निश्चित स्वयं कर सकती है। अंशो के मूल्यांकन की निम्नलिखित दो तरह की विधियों का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है । पोस्ट देखने के लिए क्लीक करे    कंपनी का आशय ऋणपत्र का अर्थ एवं परिभाषा अंशों के प्रकार स्वेट अंश   अंशु के मूल्यांकन की कितनी विधियां होती हैं ? अंशु के मूल्यांकन के निम्नलिखित दो विधियां होती हैं संपत्ति मूल्यांकन विधि या शुद्ध संपत्ति विधि  आय  या प्रतिफल मूल्यांकन विधि ज्यादातर कंपनियां अपनी अंशो की मूल्यांकन की यही दोनों विधियों का इस्तेमाल करती है । चलिए आइए देखते हैं इसको 1 संपत्ति मूल्यांकन विधि या शुद्ध संपत्ति विधि संपत्ति मूल्यांकन विधि या शुद्ध संपत्ति विधि के अंतर्गत अंशो के मूल्यांकन कंपनी के चिट्ठे के आधार पर किया जाता है अतः इससे चिट्ठा (स्थिति विवरण) विधि भी कहते हैं । इसमें

अंशो का मूल्यांकन what is Valuation of Shares in hindi

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                               अंशो का मूल्यांकन  ,   what is Valuation of Shares in hindi अंशो के मूल्यांकन का अर्थ किसी कंपनी के प्रत्येक अंश के उस मूल्य की गणना से है जिस मूल्य पर उसका क्रय-विक्रय ,हस्तांतर अथवा कर-निर्धारण किया जाना है। अंशो यह मूल्य  उसके अंकित मूल्य से कम या अधिक हो सकता है।  कंपनी के अंशो  का क्रय-विक्रय  प्राय: स्टॉक  एक्सचेंज के माध्यम से किया जाता है अतः ऐसी स्थिति में स्कंद बाजार में प्रत्येक अंश का विक्रय मूल्य निश्चित होता है किंतु ऐसे आर्म्स जिनका क्रय विक्रय स्कंध बाजार में नहीं होता उनका मूल्यांकन एक कठिन कार्य है इस संबंध में यदि भी कोई ठोस नियम या सिद्धांत नहीं है किंतु फिर भी कुछ नियमों का उपयोग कर इसका मूल्यांकन किया जा सकता है    कंपनी का आशय ऋणपत्र का अर्थ एवं परिभाषा अंशों के प्रकार स्वेट अंश *अंशु के मूल्यांकन की आवश्यकता क्यों और कब होती है ? अंशु के मूल्यांकन की बात करें तो कुछ परिस्थितियों में अंशु का मूल्यांकन करना बहुत जरूरी होता है जो निम्न प्रकार  1 उन अंशो का क्रय विक्रय करने पर जिनका मूल्य  स्टॉक एक्सचेंज में घोषित नहीं किया गया है। 2