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Showing posts from March, 2021

शेयर मार्केट काम कैसे करता है,शेयर मार्केट के प्रकार:

  शेयर मार्केट काम कैसे करता है ? शेयर मार्केट एक ऐसा बाजार है जहां लोग शेयर खरीदने और बेचने के लिए एक व्यापार का हिस्सा बन सकते हैं। यह वित्तीय बाजार एकत्रित धन को बढ़ावा देता है और उद्यमियों को पूंजीपति के लिए वित्तीय संसाधन प्रदान करने में मदद करता है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम शेयर मार्केट के काम के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे और यह जानेंगे कि शेयर मार्केट में व्यापार कैसे होता है। शेयर मार्केट के प्रकार: शेयर मार्केट विभिन्न प्रकार के होते हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं: प्राथमिक बाजार:   प्राथमिक बाजार में कंपनियां अपने पहले सार्वजनिक अवसरों के लिए अपने शेयर बेचती हैं। यह नई कंपनियों के लिए आवंटन का स्रोत होता है और इन्वेस्टरों को उनके शेयर खरीदने की सुविधा प्रदान करता है। सेकेंडरी बाजार:   सेकेंडरी बाजार में शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं, जो पहले से ही प्राथमिक बाजार में आवंटित हो शेयर मार्केट में पैसे कैसे लगाएं शेयर मार्केट में पैसे लगाना एक उच्च वापसी और निवेश का माध्यम हो सकता है, लेकिन यह निवेश शोध, जागरूकता और विचारशीलता की जरूरत रखता है। यदि आप शेयर मार्केट में

ख्याति के मूल्यांकन की आवश्यकता, ख्याति की लेखांकन विशेषताएं, ख्याति की अवधारणाएं , गुडविल goodwill क्या है? ख्याति का अर्थ एवं परिभाषा, ख्याति कितने प्रकार की होती है?

 ख्याति की अवधारणाएं concept of goodwill न्यायाधीशों अर्थशास्त्रियों एवं लेखापाल को का ख्याति के संबंध में पृथक पृथक दृष्टिकोण रहा है जो निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है। देखने के लिए क्लिक करे  ख्याति किसे कहते है? ,गुडविल goodwill क्या है? ख्याति का अर्थ एवं परिभाषा, ख्याति कितने प्रकार की होती है? ख्याति के मूल्यांकन की विधियां 1 कानूनी या वैधानिक अवधारणा legal concept ख्याति के संबंध में न्यायाधीशों का दृष्टिकोण प्राय ग्राहकों तक ही सीमित रहा है उन्होंने ख्याति को ग्राहक के पुराने स्थान पर लौट आने की संभावना ही माना है। 2 आर्थिक अवधारणा Economic concept  ख्याति के संबंध में अर्थशास्त्रियों का यह दृष्टिकोण है कि व्यवसाय में ख्याति  की उत्पत्ति किसी एक संपत्ति के योगदान से ना होकर समस्त संपत्तियों के सामूहिक योगदान से होती है अतः ख्याति का रूप संगठनात्मक है। अर्थशास्त्री श्री एड़े eadey ने ख्याति को संगठन के नाम से ही संबोधित किया है। उनके मतानुसार ख्याति अनेक अलिखित संपत्तियों का मिश्रण है।किसी भी चालू व्यवसाय के सरकार से संबंधों के कारण गैर व्यावसायिक संस्थाओं से संबंधों के

प्रबंधकीय लेखांकन की आवश्यकता, प्रबंधकीय लेखा विधि क्या है? प्रबंधकीय लेखांकन से क्या आशय है? प्रबंधकीय लेखांकन का क्षेत्र , प्रबंधकीय लेखांकन के कार्य , Management Accounting

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   प्रबंधकीय लेखांकन  किसे कहते है  what is  Management Accounting प्रबंधकीय लेखांकन की भूमिका लेखा विधि में इतनी महत्वपूर्ण एवं व्यापक है कि इसके लिए लेखा विधि की एक नई शाखा का विस्तार किया गया जिससे प्रबंधकीय लेखा विधि prabandhkiy lekha vidhi   कहते हैं। यह वित्तीय एवं लागत लेखा  विधियों का  व्यवहारिक पहलू है। प्रबंधकीय लिखा किसी शब्द का प्रयोग सबसे पहले आंग्ला अमेरिका उत्पादकता परिषद के तत्वाधान में 1950 में अमेरिका के भ्रमण पर आए हुए लेखापलो कि ब्रिटिश टीम ने किया। तब से यह शब्द अमेरिका तथा अन्य देशों में काफी प्रचलित हो गया । इसी वित्तीय लेखा विधि की अगली सीढ़ी कहा जा सकता है क्योंकि जहां पर वित्तीय लेखा विधि का कार्यक्षेत्र समाप्त होता है वहीं से प्रबंधकीय लेखा विधि प्रारंभ होती । इस प्रकार इसी विद्यालय का विधि का पूरक कहा जा सकता है। प्रबंधकीय दिन का विधि के अंतर्गत देखा सूचनाओं का उद्देश्य अनुसार विश्लेषण एवं व्याख्या की जाती है।और इन्हीं प्रबंध के समुख प्रस्तुत किया जाता है। जिससे उसे अपनी नीति निर्धारण, नियोजन निर्णयन तथा नियंत्रण के कार्यो के निष्पादन में सरलता रहे इसलिए इसे

लागत लेखांकन की परिभाषा cost accounting,लागत लेखांकन क्या है,लागत लेखांकन के उद्देश्य,लागत लेखांकन की सीमाएं

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      2 लागत लेखांकन  cost accounting लागत लेखांकन के अंतर्गत उत्पादन से लेकर बिक्री एवं वितरण के सभी व्ययो का लेखांकन ( recording) वर्गीकरण,(classification)  एवं अनुभाजन(allocation) किया जाता है जिससे कि उत्पादित वस्तुओं एवं प्रदान की जाने वाली सेवाओं के प्रति इकाई लागत और उत्पादन की कुल लागत ज्ञात की जा सके और इसके आधार पर प्रति इकाई का सही-सही विक्रय मूल्य निर्धारित किया जा सके  यदि उत्पादक अनेक वस्तुओं का उत्पादन करता है ।तू कौन सी वस्तु का उत्पादन अधिक लाभदायक है और कौन सी वस्तु का उत्पादन कम लाभदायक है या हानि प्रद है, यह लागत लेखों द्वारा आसानी से ज्ञात तो हो जाता है ऐसे जानकारी प्राप्त करके जिन वस्तुओं का उत्पादन अधिक लाभप्रद है उसका उत्पादन बढ़ाया जा सकता है । और जिन वस्तुओं का उत्पादन कम लाभदायक है या हानि प्रद है उनका उत्पादन कम अथवा बंद किया जा सकता है।  इस प्रकार लागत लेखों से व्यवसाय के लाभ में वृद्धि करने में सहायता मिलती है। इसके अतिरिक्त लागत लेखों द्वारा सामग्री, श्रम, अन्य प्रत्यक्ष व्यय, कारखाना  उपरिव्ययो, कार्यालय एवं प्रशासनात्मक ऊपरिव्ययो और बिक्री एवं वितरण उपर