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शेयर मार्केट काम कैसे करता है,शेयर मार्केट के प्रकार:

  शेयर मार्केट काम कैसे करता है ? शेयर मार्केट एक ऐसा बाजार है जहां लोग शेयर खरीदने और बेचने के लिए एक व्यापार का हिस्सा बन सकते हैं। यह वित्तीय बाजार एकत्रित धन को बढ़ावा देता है और उद्यमियों को पूंजीपति के लिए वित्तीय संसाधन प्रदान करने में मदद करता है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम शेयर मार्केट के काम के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे और यह जानेंगे कि शेयर मार्केट में व्यापार कैसे होता है। शेयर मार्केट के प्रकार: शेयर मार्केट विभिन्न प्रकार के होते हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं: प्राथमिक बाजार:   प्राथमिक बाजार में कंपनियां अपने पहले सार्वजनिक अवसरों के लिए अपने शेयर बेचती हैं। यह नई कंपनियों के लिए आवंटन का स्रोत होता है और इन्वेस्टरों को उनके शेयर खरीदने की सुविधा प्रदान करता है। सेकेंडरी बाजार:   सेकेंडरी बाजार में शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं, जो पहले से ही प्राथमिक बाजार में आवंटित हो शेयर मार्केट में पैसे कैसे लगाएं शेयर मार्केट में पैसे लगाना एक उच्च वापसी और निवेश का माध्यम हो सकता है, लेकिन यह निवेश शोध, जागरूकता और विचारशीलता की जरूरत रखता है। यदि आप शेयर मार्केट में

भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना के उद्देश्य

 भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना के उद्देश्य भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 में कहा गया है कि बैंक नोट जारी करने की शक्ति एवं नियमित विभाग तथा भारत में मुद्रण की स्थिरता के उद्देश्य से आरक्षित को रखने तथा सम्मानित मुद्रा तथा ऋण प्रणाली को देश के हित में प्रयोग करेगा। भारत में केंद्रीय बैंक के रूप में भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना के निम्नवत उद्देश्य हैं। 1 मुद्रा एवं साख मुद्रा नीति में समन्वय स्थापित करना। 2 रुपए के आंतरिक तथा बाय मूल्यों में स्थिरता कायम करना। 3 बैंकों के नगद कोशो का केंद्रीकरण करना। 4 देश में बैंकिंग प्रणाली का विकास करना। 5 मुद्रा बाजार का नियमित एवं संगठित रूप में से विकास करना। 6 कृषि साख की वित्त व्यवस्था सुनिश्चित करना। 7 विदेशों से मौद्रिक संबंध कायम करना। 8 बैंकिंग की आदतों को बढ़ावा देकर भक्तों को संस्थागत करना। 9 अखिल भारतीय तथा क्षेत्रीय स्तर पर उद्योगों के लिए विधिक वित्त एवं व्यापक सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए बहुत सी विशिष्ट वित्तीय संस्थाओं की स्थापना अथवा विकास करना। 10 सरकार के सामाजिक न्याय तथा इस सीतापुर आर्थिक विकास की गति को बढ़ाने में सहायता देन

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 भारत में बैंकिंग का विकास के चरण या अवधि भारत में बैंकिंग प्रणाली के विकास को सात चरणों में विभाजित किया जा सकता है। प्रथम चरण 1806 तक 18 वीं शताब्दी में ईस्ट इंडिया कंपनी ने मुंबई तथा कोलकाता में कुछ एजेंसी ग्रहों की स्थापना की। इन एजेंसी गृहों का वित्तपोषण ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा ही किया जाता था।इन एजेंसी गृहों का प्रमुख कार्य ईस्ट इंडिया कंपनी को सैनिक आवश्यकताओं के लिए रुपया ऋण देना, कागजी मुद्रा का निर्गमन करना तथा लाभों से नीक्षेप स्वीकार करना था। यूरोपीय बैंकिंग पद्धति पर आधारित भारत का पहला बैंक विदेशी पूंजी के सहयोग से एलेग्जेंडर एंड कंपनी द्वारा बैंक ऑफ हिंदुस्तान के नाम से 1770 में कोलकाता में स्थापित किया गया था। परंतु यह बैंक शीघ्र ही असफल हो गया । द्वितीय चरण 1806 से 1860 तक 1813 ईस्ट इंडिया कंपनी के वाणिज्य अधिकार समाप्त होने के साथ ही एजेंसी गृहों की पतन की प्रक्रिया शुरू हो गई। इसके बाद देश में निजी अंश धारियों द्वारा तीन प्रेसीडेंसी बैंकों की स्थापना की गई जो इस प्रकार हैं -1806 में बैंक ऑफ बंगाल , 1840 में बैंक ऑफ मुंबई तथा 1843 में