Posts

Showing posts with the label Accounting concepts

शेयर मार्केट काम कैसे करता है,शेयर मार्केट के प्रकार:

  शेयर मार्केट काम कैसे करता है ? शेयर मार्केट एक ऐसा बाजार है जहां लोग शेयर खरीदने और बेचने के लिए एक व्यापार का हिस्सा बन सकते हैं। यह वित्तीय बाजार एकत्रित धन को बढ़ावा देता है और उद्यमियों को पूंजीपति के लिए वित्तीय संसाधन प्रदान करने में मदद करता है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम शेयर मार्केट के काम के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे और यह जानेंगे कि शेयर मार्केट में व्यापार कैसे होता है। शेयर मार्केट के प्रकार: शेयर मार्केट विभिन्न प्रकार के होते हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं: प्राथमिक बाजार:   प्राथमिक बाजार में कंपनियां अपने पहले सार्वजनिक अवसरों के लिए अपने शेयर बेचती हैं। यह नई कंपनियों के लिए आवंटन का स्रोत होता है और इन्वेस्टरों को उनके शेयर खरीदने की सुविधा प्रदान करता है। सेकेंडरी बाजार:   सेकेंडरी बाजार में शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं, जो पहले से ही प्राथमिक बाजार में आवंटित हो शेयर मार्केट में पैसे कैसे लगाएं शेयर मार्केट में पैसे लगाना एक उच्च वापसी और निवेश का माध्यम हो सकता है, लेकिन यह निवेश शोध, जागरूकता और विचारशीलता की जरूरत रखता है। यदि आप शे...

आयगत एवं पूंजीगत व्यय क्या है, पूंजीगत व्यय की विशेषताएं, अायगत व्यय क्या है what is revenue expenditure

Image
आयगत एवं पूंजीगत व्यय क्या होता है । पूंजी का आशय अर्थशास्त्र में पूंजी का आशय से धन के उस भाग से है जो अतिरिक्त धन के उत्पादन के लिए प्रयोग में लाया जाता है लेखांकन के वार्षिक चिट्ठी के आधार पर संपत्तियों का दायित्व पर आधिक्य पूंजी माना जाता है। आय का आशय एक निर्धारित अवधि की आयगत प्राप्तियां उस अवधि के आयगत व्यय से  जितनी अधिक होती है वही आधिक्य उस अवधि की आय मानी जाती है।इसी आधिक्य को शुद्ध लाभ भी कहा जाता है।गैर व्यापारिक संस्थाओं मैं इसे आय का व्यय पर आधिक्य माना जाता है।  1 पूंजीगत व्यय क्या है what is capital expenditure पूंजीगत व्यय  आशय ऐसे  व्ययाे से है जो स्थाई संपत्तियों को को खरीदने, उसने कोई भी वृद्धि करने तथा स्थाई संपत्तियों की कार्य क्षमता में वृद्धि करने के संबंध में किए जाते हैं। इस वर्णन के अनुसार किसी भी व्यय को पूंजीगत व्यय होने के लिए निम्नलिखित शर्तों में से किसी एक या अधिक शर्तों को पूरा करने वाला होना चाहिए। 1 व्यवसाय के लिए किसी संपत्ति को क्रय करने , निर्माण करने या प्राप्त करने, या प्राप्त उसे प्रयोग में लाने हेतु व्यय किया गया हो 2 व्यव...

वित्तीय लेखांकन एवं लागत लेखांकन में अंतर , लागत लेखांकन एवं वित्तीय लेखांकन में समानताएं

 वित्तीय लेखांकन एवं लागत लेखांकन में अंतर  1 लेखों की अनिवार्यता विद्यालय के किसी भी व्यवसाय को प्रथम के लिए अनिवार्य होते हैं जब की लागत लेखे किसी भी व्यावसायिक उपक्रम के  लिए अनिवार्य नही होते।  2 कार्य कुशलता पर प्रभाव  वित्तीय लेखों का व्यावसायिक उपक्रम की कार्यकुशलता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता जब की लागत लिखें व्यावसायिक उपक्रम की कार्य कुशलता में वृद्धि करने में अधिक सहायक होतो है। 3 ब्ययो का वर्गीकरण  वित्तीय लिखे में व्यय का विस्तृत वर्गीकरण नहीं किया जाता है। अर्थात   व्ययो रूप में लेखा किया जाता है  जबकी लागत लेखों के अंतर्गत व्ययो का वर्गीकरण किया जाता है जैसे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष व्यय।  अप्रत्यक्ष वययो भी कारखाना ऊपरीव्यय, कार्यालय ऊपरीव्यय और विक्रय एवं विवरण व्ययो मैं वर्गीकरण किया जाता है। 4 प्रति इकाई लागत क्या करना वित्तीय लेखों की सहायता से उत्पादन की प्रती ईकाई लागत आसानी से ज्ञात नहीं की जा सकती । जब की लागत लेखों की सहायता से उत्पादन की प्रति इकाई लागत  आसानी से ज्ञात की जा सकती हैं। 5 अनुमानित व्यय का लेखा ला...

प्रबंधकीय लेखांकन की आवश्यकता, प्रबंधकीय लेखा विधि क्या है? प्रबंधकीय लेखांकन से क्या आशय है? प्रबंधकीय लेखांकन का क्षेत्र , प्रबंधकीय लेखांकन के कार्य , Management Accounting

Image
   प्रबंधकीय लेखांकन  किसे कहते है  what is  Management Accounting प्रबंधकीय लेखांकन की भूमिका लेखा विधि में इतनी महत्वपूर्ण एवं व्यापक है कि इसके लिए लेखा विधि की एक नई शाखा का विस्तार किया गया जिससे प्रबंधकीय लेखा विधि prabandhkiy lekha vidhi   कहते हैं। यह वित्तीय एवं लागत लेखा  विधियों का  व्यवहारिक पहलू है। प्रबंधकीय लिखा किसी शब्द का प्रयोग सबसे पहले आंग्ला अमेरिका उत्पादकता परिषद के तत्वाधान में 1950 में अमेरिका के भ्रमण पर आए हुए लेखापलो कि ब्रिटिश टीम ने किया। तब से यह शब्द अमेरिका तथा अन्य देशों में काफी प्रचलित हो गया । इसी वित्तीय लेखा विधि की अगली सीढ़ी कहा जा सकता है क्योंकि जहां पर वित्तीय लेखा विधि का कार्यक्षेत्र समाप्त होता है वहीं से प्रबंधकीय लेखा विधि प्रारंभ होती । इस प्रकार इसी विद्यालय का विधि का पूरक कहा जा सकता है। प्रबंधकीय दिन का विधि के अंतर्गत देखा सूचनाओं का उद्देश्य अनुसार विश्लेषण एवं व्याख्या की जाती है।और इन्हीं प्रबंध के समुख प्रस्तुत किया जाता है। जिससे उसे अपनी नीति निर्धारण, नियोजन निर्णयन तथा नियंत...

लागत लेखांकन की परिभाषा cost accounting,लागत लेखांकन क्या है,लागत लेखांकन के उद्देश्य,लागत लेखांकन की सीमाएं

Image
      2 लागत लेखांकन  cost accounting लागत लेखांकन के अंतर्गत उत्पादन से लेकर बिक्री एवं वितरण के सभी व्ययो का लेखांकन ( recording) वर्गीकरण,(classification)  एवं अनुभाजन(allocation) किया जाता है जिससे कि उत्पादित वस्तुओं एवं प्रदान की जाने वाली सेवाओं के प्रति इकाई लागत और उत्पादन की कुल लागत ज्ञात की जा सके और इसके आधार पर प्रति इकाई का सही-सही विक्रय मूल्य निर्धारित किया जा सके  यदि उत्पादक अनेक वस्तुओं का उत्पादन करता है ।तू कौन सी वस्तु का उत्पादन अधिक लाभदायक है और कौन सी वस्तु का उत्पादन कम लाभदायक है या हानि प्रद है, यह लागत लेखों द्वारा आसानी से ज्ञात तो हो जाता है ऐसे जानकारी प्राप्त करके जिन वस्तुओं का उत्पादन अधिक लाभप्रद है उसका उत्पादन बढ़ाया जा सकता है । और जिन वस्तुओं का उत्पादन कम लाभदायक है या हानि प्रद है उनका उत्पादन कम अथवा बंद किया जा सकता है।  इस प्रकार लागत लेखों से व्यवसाय के लाभ में वृद्धि करने में सहायता मिलती है। इसके अतिरिक्त लागत लेखों द्वारा सामग्री, श्रम, अन्य प्रत्यक्ष व्यय, कारखाना  उपरिव्ययो, कार्यालय एवं प्रशासन...

वित्तीय लेखांकन किसे कहते है ,लेखांकन के प्रकार , lekhnakan ke prakar , financial accounting in hindi

Image
संदेश-हेलो स्टूडेंट आप लोग कैसे हैं आशा करते हैं आप अच्छे ही होंगे अगर आप वित्तीय लेखांकन की परिभाषा ही पढ़ना चाहते हैं तो पोस्ट के नीचे वित्तीय लेखांकन को बताया गया है जा कर पढ़ें लेखांकन  के प्रकार ,लेखांकन की विभिन्न स्वरूप का अध्ययन यह सर्वविदित है कि सभ्यता का विकास व्यवसाय के विकास पर निर्भर करता है जैसे-जैसे सभ्यता का विकास होता है वैसे-वैसे व्यवसाय का स्वरूप भी विकसित होता है  आज के विकासशील युग में लेखांकन का महत्व अत्यधिक बढ़ गया है अतः लेखांकन के सिद्धांत    की विभिन्न व्यवस्थित पद्धतियों का विकास हुआ है उन्हीं पद्धतियों में से एक वित्तीय लेखांकन पद्धति है|  यह पद्धतियां मुख्य रूप से वित्तीय व्यावसायिक व्यवहारों और महत्वपूर्ण सारांश बनाने विश्लेषण करने, उनकी व्याख्या और परिणामों को उन व्यक्तियों तक पहुंचाने का कार्य करती हैं जिन्हें उनके आधार पर निर्णय लेने होते हैं।  केवल इतना ही नहीं,विकासशील देशों में किए गए अध्ययन एवं शोध कार्यो ने यह सिद्ध कर दिया है कि किसी व्यापार की सफलता अथवा सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि व्यवसाय के संचालन के लिए लेख...

In accounting first stage is journal The second stage is what | Can I use vyapar accounting app in a window touch screen?| Is it's okay to study accountancy Part 3 for HS 2nd year?

Image
 लेखांकन में पहला चरण जर्नल है दूसरा चरण क्या है लेखांकन  में   पहला चरण जर्नल होता है और दूसरा चरण हम लेजर को कहते हैं चलिए स्टूडेंट हम देखते हैं जनरल किसे कहते हैं और लेजर किसे कहते हैं   1 लेखांकन का पहला चरण जनरल जर्नल को हम रोजनामचा भी कहते हैं रोजनामचा या जर्नल प्रारंभिक लिखे की प्रधान पुस्तक है| जिसमें दोहरा लेखा प्रणाली सिद्धांत के अनुसार हर एक लेनदेन के दोनों रूपों का प्रारंभिक लेखा तिथि वार एवं क्रमानुसार किया जाता है उसे रोजनामचा अथवा जनरल कहते हैं इस बही में लेखा करने से पूर्व प्रत्येक लेनदेन से संबंधित दो खातों का पता लगाया जाता है जिसमें से एक रैली और दूसरा धनी किया जाता है रेडी एवं धनी करने के निश्चित नियम होते हैं । जिनके अनुसार जनरल या रोजनामचा मेले के किए जाते हैं|  जनरल की परिभाषा  कांटा के अनुसार " रोजनामचा याद दैनिक अभिलेख प्राथमिक प्रविष्टियों की वह पुस्तक है जिसमें स्मरण वही अथवा बेस्ट बुक की तिथि क्रम में ले नैनो को लिखा जाता है प्रविष्टियों को लिखते समय उन्हें नाम अथवा जमा के रूप में वर्गीकृत किया जाता है ताकि बाद में उनकी खाता बही...

What is Consignment account in hindi प्रेषण खाता किसे कहते है? preshan khata kya hai

Image
प्रेषण  खाता किसे कहते  है? what is  consignment accounts व्यापार बढ़ाने के अनेकों तरीकों या अनेक विधियों में से एक विधि प्रेषण या चालान(consignment) विधि भी है जिसे की व्यापार बढ़ाया जा सकता है   "बिक्री बढ़ाने की अनेक नवीन विधियों  का व्यावसायिक जगत में प्रयोग होता है इसमें एक विधि  प्रेषण द्वारा माल का विक्रय भी है " आधुनिक युग में बाजार की बढ़ती हुई आकार के कारण निर्माताओं एवं थोक विक्रेताओं द्वारा संसार के कोने कोने में रहने वाले ग्राहकों तक अपनी वस्तुएं पहुंचाने के लिये एवं बिक्री में बढ़ोतरी करने के लिए कई तरीके काम मिलाए जाते हैं| जिसमें प्रेषण या चालान पर माल भेज कर बिक्री करना भी एक तरीका है । इसके अंतर्गत निर्माता तथा थोक व्यापारी विभिन्न स्थानों पर माल की बिक्री के लिए अपने विक्रय एजेंट नियुक्त करते हैं जो  उनके द्वारा भेजे गए माल को कमीशन के आधार पर  बेचते रहते हैं। तलपट क्या है तलपट कैसे बनते है ? कंपनी का आशय , कंपनी की परिभाषाएं कंपनी का वर्गीकरण (classification of company) " यहां पर माल भेजने वाला 'प्रधान' (principal) य...

सूत्रधारी कंपनियों के प्रकार | types of holding companies

सूत्रधारी कंपनियों के प्रकार  सूत्रधारी कंपनीया निम्नलिखित प्रकार की होती हैं। 1प्राथमिक या प्रमुख  सूत्रधारी कंपनी- ऐसी कंपनी जिसकी कई सहायक कंपनियां हो किंतु वह स्वयं किसी अन्य कंपनी की सहायक कंपनी ना हो। प्राथमिक या प्रमुख  सूत्रधारी कंपनी  कहलाती है। प्रमुख सूत्रधारी कंपनी स्वयं कई कंपनियों पर नियंत्रण रखती है किंतु इस पर किसी कंपनी का नियंत्रण नहीं होता । उचंत खाता किसे कहते है ?क्या होता है उचंत खता ? संचय या उचंती या उदरत खाते का प्रयोग डिस्काउंट क्या होता है ? डिस्काउंट के प्रकार समाजवादी अर्थव्यवस्था Socialist EconomyIn Hindi   2 जनक सूत्रधारी कंपनी--  ऐसी सूत्रधारी कंपनी जो अपने निर्माण के पश्चात संयोजन का लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से अन्य सहायक कंपनियों का निर्माण करती है  जनक सूत्रधारी कंपनी  कहलाती है। 3 संतति या परिणाम सूत्रधारी कंपनी ही सहायक कंपनियों के निर्माण के पश्चात स्थापित सूत्रधारी कंपनी  संतति या परिणाम सूत्रधारी कंपनी  कहलाती है। ऐसी सूत्रधारी कंपनी एकीकरण के लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से स्थापित की जाती हैं...

आय या प्रतिफल मूल्यांकन विधि yield Valuation method

Image
  आय या प्रतिफल मूल्यांकन विधि (yield Valuation method) आय या प्रतिफल मूल्यांकन विधि में अंशो पर प्राप्त आय या प्रतिफल के आधार पर किया जाता है शुद्ध संपत्ति विधि की तुलना में यह विधि अधिक लोकप्रिय है इसमें अंशु का मूल्यांकन निम्न आधारों पर किया जाता है A लाभांश दर के आधार पर B अपेक्षित प्रत्याय दर के आधार पर C उपार्जन क्षमता के आधार पर अंशु के मूल्यांकन की क्यों और कब आवश्यकता है ?देखने के लिए क्लिक करें (A) लाभांश दर के आधार पर मूल्यांकन(on the basis of dividend rate) इसके अंतर्गत प्रत्येक अंशो का मूल्यांकन कंपनी द्वारा घोषित लाभांश की दर को सामान्य प्रत्याय की दर से भाग देकर प्राप्त भजन फल में अंशो के चुकता मूल्य का गुना कर किया जाता है इसी निम्नानुसार और अधिक स्पष्ट किया जा सकता  है। सूत्र- अंशो का मूल्य = लाभांश की दर ÷प्रत्याय की सामान्य दर × अशो पर चुकता मूल्य  लाभांश की दर लाभांश की दर से आशय उस दर से है जिस पर कंपनी द्वारा लाभांश की घोषणा की जाती है यदि प्रश्न में लाभांश किधर उल्लेखित ना हो तो इसकी गणना निम्नानुसार की जा सकती है सूत्र- लाभांश की दर= प्राप्त ल...

अंशो के मूल्यांकन की विधियां?, अंशु के मूल्यांकन की कितनी विधियां होती हैं

Image
अंशो के मूल्यांकन की विधियां? (method of valuation of shares) अंशु के मूल्यांकन की क्यों और कब आवश्यकता है ?देखने के लिए क्लिक करें भारतीय कंपनी अधिनियम की बात की जाए तो अंशो के मूल्यांकन की कोई विशेष विधि का उल्लेख नहीं है कंपनी अपने पार्षद अंतर नियमों द्वारा अंशो के मूल्यांकन की विधिया निश्चित स्वयं कर सकती है। अंशो के मूल्यांकन की निम्नलिखित दो तरह की विधियों का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है । पोस्ट देखने के लिए क्लीक करे    कंपनी का आशय ऋणपत्र का अर्थ एवं परिभाषा अंशों के प्रकार स्वेट अंश   अंशु के मूल्यांकन की कितनी विधियां होती हैं ? अंशु के मूल्यांकन के निम्नलिखित दो विधियां होती हैं संपत्ति मूल्यांकन विधि या शुद्ध संपत्ति विधि  आय  या प्रतिफल मूल्यांकन विधि ज्यादातर कंपनियां अपनी अंशो की मूल्यांकन की यही दोनों विधियों का इस्तेमाल करती है । चलिए आइए देखते हैं इसको 1 संपत्ति मूल्यांकन विधि या शुद्ध संपत्ति विधि संपत्ति मूल्यांकन विधि या शुद्ध संपत्ति विधि के अंतर्गत अंशो के मूल्यांकन कंपनी के चिट्ठे के आधार पर किया जाता है अतः इससे चिट्ठा (स्थिति विवरण) ...

अंशो का मूल्यांकन what is Valuation of Shares in hindi

Image
                               अंशो का मूल्यांकन  ,   what is Valuation of Shares in hindi अंशो के मूल्यांकन का अर्थ किसी कंपनी के प्रत्येक अंश के उस मूल्य की गणना से है जिस मूल्य पर उसका क्रय-विक्रय ,हस्तांतर अथवा कर-निर्धारण किया जाना है। अंशो यह मूल्य  उसके अंकित मूल्य से कम या अधिक हो सकता है।  कंपनी के अंशो  का क्रय-विक्रय  प्राय: स्टॉक  एक्सचेंज के माध्यम से किया जाता है अतः ऐसी स्थिति में स्कंद बाजार में प्रत्येक अंश का विक्रय मूल्य निश्चित होता है किंतु ऐसे आर्म्स जिनका क्रय विक्रय स्कंध बाजार में नहीं होता उनका मूल्यांकन एक कठिन कार्य है इस संबंध में यदि भी कोई ठोस नियम या सिद्धांत नहीं है किंतु फिर भी कुछ नियमों का उपयोग कर इसका मूल्यांकन किया जा सकता है    कंपनी का आशय ऋणपत्र का अर्थ एवं परिभाषा अंशों के प्रकार स्वेट अंश *अंशु के मूल्यांकन की आवश्यकता क्यों और कब होती है ? अंशु के मूल्यांकन की बात करें तो कुछ परिस्थितियों में अंशु का मूल्यांकन करना बहु...

पूंजी संचय एवं संचित पूज्य में अंत difference between Capital Reserve and Reserve capital in hindi,what is surrender of share in hindi?

Image
अंशो का समर्पण किसे कहते है       what is surrender of share? कभी-कभी ऐसा होता है ।कि आवंटन की राशि भुगतान करने के बाद कंपनी द्वारा मांगी गई अन्य याचना ओं की राशि का भुगतान करने में असमर्थ होता है। तो वह अपने अंशो को कंपनी को स्वेच्छा से  सुपुत्र कर देता है। तो उसे अंशो का समर्पण कहा जाता है। दूसरे शब्दों में जब कोई अंशधारी अंशो के आवंटन के पश्चात उस पर देह राशि के भुगतान करने में असमर्थ होने पर स्वेच्छा से अपने अंश कंपनी को समर्पित करता है, तो उसी अंश का समर्पण कहते हैं।समर्पण के पश्चात अंशु पर कंपनी का स्वामित्व होता है। लेखा की बात करें तो - अंशो के समर्पण के लिए वही प्रविष्ठियां की जाती हैं जो अंशो के हरण के लिए की जाती है। देखने के लिए क्लीक   अंश पूँजी के प्रकार यद्यपि अंशो के हरण एवं समर्पण का स्वाभाव एक ही होता है दोनों परिस्थितियों में लेखांकन उपचार एक ही है किंतु फिर भी दोनों में प्रमुख अंतर पाया जाता है जो इस प्रकार के हैं। अंशो के समर्पण एवं अंशो के हरण में अंतर अंशु का समर्पण 1 अशो  का समर्पण अंशधारी की इच्छा  से किया जाता है 2 अंश...

कंपनियों का एकीकरण,amalgamation of Companies in hindi, amalgamation meaning

        एकीकरण या सम्मिश्रण का अर्थ एकीकरण का अर्थ निम्न दो दृष्टिकोण से स्पष्ट किया जा सकता है  1 परंपरागत दृष्टिकोण 2 आधुनिक दृष्टिकोण 1 परंपरागत दृष्टिकोण परंपरागत दृष्टिकोण से एकीकरण कामा संविलियन तथा बाय पुनर्निर्माण को अलग-अलग अर्थों में निम्नानुसार स्पष्ट किया जा सकता है एकीकरण का आशय (meaning of amalgamation) लेखांकन की दृष्टि से-" जब दो या दो से अधिक कंपनियां , मिलकर एक नई कंपनी का निर्माण करें तो इस मिलन या संयोजन को एकीकरण कहते हैं " कानून की दृष्टि से-" सम्मिश्रण में दो या दो से अधिक विद्यमान कंपनियों का समापन होता है तथा उनके व्यवसाय के क्रय की लिए एक नई कंपनी की स्थापना की जाती है।" एकीकरण या सम्मिश्रण के लक्षण उपयुक्त विवेचन के आधार पर यह कहा जा सकता है कि एकीकरण में निम्नलिखित लक्षण का होना आवश्यक है उचंत खाता किसे कहते है ?क्या होता है उचंत खता ? संचय या उचंती या उदरत खाते का प्रयोग डिस्काउंट क्या होता है ? डिस्काउंट के प्रकार 1एकीकरण की योजनाओं में दो या दो से अधिक विद्यमान कंपनियां सम्मिलित होनी चाहिए। 2 एकीकरण में सभी विद्यमान कंपनियों का प...

डिस्काउंट क्या होता है डिस्काउंट के प्रकार डिस्काउंट क्यों दिया जाता है डिस्काउंट को क्या क्या कहते हैं ? what is trade discount,What is a common type of discount?

डिस्काउंट क्या होता है डिस्काउंट के प्रकार डिस्काउंट क्यों दिया जाता है डिस्काउंट को क्या क्या कहते हैं ? डिस्काउंट या छूट किसे कहते हैं? जब व्यापारी अपनी माल बिक्री को बढ़ाने के लिए या क्रेता से अपना धन वसूल करने के लिए उन्हें लालच के रूप में कुछ छूट प्रदान करता है तो उसे हम झूठ या बट्टा या कटौती कहते हैं जिससे कि ग्राहक आकर्षित होता है और लालच में आकर किसी भी वस्तु को परचेस करने या धन को धन को देने के लिए विवश हो जाता है इससे दोनों पक्षों को फायदा होता है पहला तो यह कि जो विक्रेता होता है उसे उसे अपने माल की बिक्री बढ़ जाती है और दूसरा यह होता है की प्रीता को लिखित मूल्य से उपवास तू थोड़ी सस्ती प्राप्त हो जाती है और या अगर धन धन की वसूली को लेकर डिस्काउंट दिया जा रहा हूं तो कविता को उधार की अपेक्षा थोड़ा कम धन देना होता है जिस जिससे कि दोनों ही पक्ष को थोड़ा-थोड़ा फायदा हो जाता है    अंश पूँजी के प्रकार तलपट क्या है तलपट कैसे बनते है कंपनी का आशय , कंपनी की परिभाषाएं कंपनी का वर्गीकरण (classification of company) डिस्काउंट के प्रकार डिस्काउंट को निम्नलिखित तीन भागों में बांटा...