शेयर मार्केट काम कैसे करता है,शेयर मार्केट के प्रकार:

  शेयर मार्केट काम कैसे करता है ? शेयर मार्केट एक ऐसा बाजार है जहां लोग शेयर खरीदने और बेचने के लिए एक व्यापार का हिस्सा बन सकते हैं। यह वित्तीय बाजार एकत्रित धन को बढ़ावा देता है और उद्यमियों को पूंजीपति के लिए वित्तीय संसाधन प्रदान करने में मदद करता है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम शेयर मार्केट के काम के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे और यह जानेंगे कि शेयर मार्केट में व्यापार कैसे होता है। शेयर मार्केट के प्रकार: शेयर मार्केट विभिन्न प्रकार के होते हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं: प्राथमिक बाजार:   प्राथमिक बाजार में कंपनियां अपने पहले सार्वजनिक अवसरों के लिए अपने शेयर बेचती हैं। यह नई कंपनियों के लिए आवंटन का स्रोत होता है और इन्वेस्टरों को उनके शेयर खरीदने की सुविधा प्रदान करता है। सेकेंडरी बाजार:   सेकेंडरी बाजार में शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं, जो पहले से ही प्राथमिक बाजार में आवंटित हो शेयर मार्केट में पैसे कैसे लगाएं शेयर मार्केट में पैसे लगाना एक उच्च वापसी और निवेश का माध्यम हो सकता है, लेकिन यह निवेश शोध, जागरूकता और विचारशीलता की जरूरत रखता है। यदि आप शेयर मार्केट में

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कंपनी का आशय meaning of company

कम्पनी शब्द लैटिन भाषा के com+penis शब्द से बनाहै com   का शब्द का अर्थ साथ साथ तथा penis शब्द का अर्थ रोटी से है। इस प्रकार सामान्य शब्दों में कंपनी का अर्थ "साथ साथ रोटी  खाने से है।" तकनीकी भाषा में कंपनी का अर्थ " कुछ उद्देश्यों की पूर्ति के लिए या लाभ कमाने के उद्देश्य से बनाए गए  व्यक्तियों के समूह को कंपनी कहते हैं या जिसका रजिस्ट्रेशन किसी  अधिनियम के तहत किया गया हो जिसको कृतिम व्यक्ति के रूप में मान्यता प्राप्त करता हो।"

 कंपनी की परिभाषाएं (Definition of a company)

प्रो हैंने के अनुसार "संयुक्त पूंजी वाली कंपनी लाभ के लिए बनाई गई व्यक्तियों एक एक संस्था है जिसकी पूंजी हस्तांतरित होने वाले अंशो में विभाजित होती है  इसकी सदस्यता ही स्वामित्व की शर्त है ।"

न्यायधीश जेम्स के अनुसार "कम्पनी एक निश्चित उद्देश्य की पूर्ति के लिए  संगठित व्यक्तियों का एक समूह है ।" 

न्यायधीश मार्शल के अनुसार "संयुक्त पूंजी कंपनी एक कृतिम , अदृश्य तथा अमूर्त संस्था है जिसका अस्तित्व   वैधानिक होता है और जो  विधान द्वारा निर्मित होती है।"

 कंपनी डेफिनिशन इन कंपनी एक्ट २०१३ 
कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2(20) के अनुसार - कंपनी का आशय "इस अधिनियम अथवा किसी पूर्व कंपनी विधि के अधीन समामेलित एक कंपनी से है।" 
कंपनी अधिनियम 2013 के धारा 2(67) से पूर्व के कम्पनी विधि से है 
कब-कब कंपनी अधिनियम में बदलाव किया गया और बनाए गए? 
  1.   भारतीय कंपनी अधिनियम ,1866 के लागू होने से पूर्व कंपनी से संबंधित अधिनियम
  2. भारतीय कंपनी अधिनियम 1866
  3. भारतीय कंपनी अधिनियम 1882
  4. भारतीय कंपनी अधिनियम 1913 अंतरण कंपनी के पंजीनियन के अध्यादेश 1942 
  5. कंपनी अधिनियम 1956

 

 

कंपनी की विशेषताएं (characteristics of a company)

कंपनी का आशय  एवं परिभाषा के उपयुक्त विवेचन के आधार पर एक कंपनी की आधारभूत विशेषताएं निम्न प्रकार हो सकती है।
  1. कंपनी विधान द्वारा निर्मित एक कितने व्यक्ति है। जिसका जन्म विधान द्वारा होता है और समापन भी विधान विधान में बताए गए ढंग से किया जाता है।
  2. कंपनी का अस्तित्व अपने सदस्यों के अस्तित्व से पृथक एवं स्थायी  होता है । किसी सदस्य की मृत्यु कामा दिवालिया कामा अवकाश ग्रहण करने पर कंपनी का अस्तित्व समाप्त नहीं होता ।
  3. सामान्यत: कंपनी के सदस्यों का दायित्व इसके द्वारा की के अंशों के अंकित मूल्य अथवा प्रधान की गई गारंटी तक सीमित होता है।
  4. समामेलन की तिथि से कंपनी की एक सार्वमुद्रा (commen seal) होती है जो उसके सामूहिक अस्तित्व की पृथक पहचान प्रदान करते हुए उसे सुरक्षा एवं स्थिरता प्रदान करती है।
  5. कंपनी का प्रबंध लोकतांत्रिय सिद्धांतों पर होता है इसमें अंश धारियों द्वारा चुने गए संचालक प्रबंध के कार्यों का नियंत्रण करते हैं।
  6. सार्वजनिक कंपनी के अंश धारियों को अपने अंशो के  हस्तांतरण का अधिकार प्राप्त होता है।
  7. कंपनी की संपत्ति कंपनी की स्वयं की होती है इस पर अंश धारियों का स्वामित्व नहीं होता है।
  8. कंपनी को अपने नाम से वाद प्रस्तुत करने का अधिकार होता है तथा अन्य व्यक्ति भी कंपनी के विरुद्ध वाद प्रस्तुत कर सकते हैं।
  9. कंपनी का मूल उद्देश्य एवं अन्य क्रियाएं उसके पार्षद सीमा नियम, पार्षद अंतनियमो इवेंट कंपनी अधिनियम के नियमों द्वारा सीमित होती है।
  10. कंपनी में लिखी रखने, अंतिम खाते तैयार करने, उनका अंकेक्षण कराने तथा उन्हें प्रकाशित करने के संबंध में कठोर प्रावधान सम्मिलित है।
  11. कंपनी एक नागरिक नहीं है। वह वैधानिक व्यक्ति होते हुए भी इसे संविधान एवं नागरिकता अधिनियम के अनुसार नागरिक के मौलिक अधिकार प्राप्त नहीं है जैसी चुनाव में मतदान का अधिकार विवाह करने का अधिकार आदि।

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