शेयर मार्केट काम कैसे करता है,शेयर मार्केट के प्रकार:

  शेयर मार्केट काम कैसे करता है ? शेयर मार्केट एक ऐसा बाजार है जहां लोग शेयर खरीदने और बेचने के लिए एक व्यापार का हिस्सा बन सकते हैं। यह वित्तीय बाजार एकत्रित धन को बढ़ावा देता है और उद्यमियों को पूंजीपति के लिए वित्तीय संसाधन प्रदान करने में मदद करता है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम शेयर मार्केट के काम के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे और यह जानेंगे कि शेयर मार्केट में व्यापार कैसे होता है। शेयर मार्केट के प्रकार: शेयर मार्केट विभिन्न प्रकार के होते हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं: प्राथमिक बाजार:   प्राथमिक बाजार में कंपनियां अपने पहले सार्वजनिक अवसरों के लिए अपने शेयर बेचती हैं। यह नई कंपनियों के लिए आवंटन का स्रोत होता है और इन्वेस्टरों को उनके शेयर खरीदने की सुविधा प्रदान करता है। सेकेंडरी बाजार:   सेकेंडरी बाजार में शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं, जो पहले से ही प्राथमिक बाजार में आवंटित हो शेयर मार्केट में पैसे कैसे लगाएं शेयर मार्केट में पैसे लगाना एक उच्च वापसी और निवेश का माध्यम हो सकता है, लेकिन यह निवेश शोध, जागरूकता और विचारशीलता की जरूरत रखता है। यदि आप शेयर मार्केट में

सूत्रधारी एवं सहायक कंपनी holding and subsidary company


                              

सुत्रधारी एवं  सहायक कम्पनी 

एक कंपनी का किसी दूसरी कंपनी के संचालक मंडल में के गठन पर नियंत्रण हो अथवा दूसरी कंपनी में आधे से अधिक मतों पर अधिकार हो तो नियंत्रण स्थापित करने वाली कंपनी सूत्रधारी कंपनी या नियंत्रक कंपनी या संधारित कंपनी कहलाती है तथा जिस पर कंपनी जिस कंपनी पर नियंत्रण स्थापित किया जाता है उसी सहायक कंपनियां नियंत्रित कंपनी कहा जाता है |  सूत्रधारी कंपनियों की स्थापना सर्वप्रथम अमेरिका में की गई भारत में इसका निर्माण  पहली बार कंपनी अधिनियम 2013  में किया गया | 


सूत्रधारी एवं सहायक कंपनियों का अर्थ एवं परिभाषा

सामान्य शब्दों में वे कंपनियां जिनका अन्य कंपनियों में बहुमत हो अथवा अन्य कंपनी की गतिविधियों पर नियंत्रण हो सूत्रधारी अथवा नियंत्रक कंपनी कहलाती है  तथा जिस कंपनी पर अन्य कंपनी का नियंत्रण हो सहायक या अनियंत्रित कंपनी कहलाती है।  सुत्रधारी  कंपनी क्या  

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कंपनी का वर्गीकरण (classification of company)

गेस्टरबर्ग के अनुसार "कोई भी कंपनी जिसकी स्वामित्व एवं नियंत्रण में किसी अन्य कंपनी का भाग या सीमा तक होगी वह अन्य कंपनी द्वारा दिए गए आदेशों का पालन करने का एकमात्र साधन हो जाए, तो नियंत्रण रखने वाली कंपनी नियंत्रक कंपनी तथा जिस पर नियंत्रण रखा जाता है वह नियंत्रित कंपनी होती है।"

कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 2 (46) के अनुसार, "एक या अधिक अन्य कंपनी के संबंध में , सूत्रधारी कंपनी आशय ऐसी कंपनी से है जिसकी ऐसी अन्य सहायक कंपनियां हैं|''


अन्य कंपनियों के संबंध में कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 2(87) के अनुसार सहायक कंपनियां सहायक कंपनी का हादसा एक ऐसी कंपनी जिसमें सूत्रधारी कंपनी----

  1. संचालक मंडल की संरचना पर नियंत्रण रखती है।
  2. स्वयं अथवा एक या अधिक इसकी सहायक कंपनियों के साथ मिलकर कुल अंश पूंजी के आधे से अधिक भाग पर नियंत्रण अथवा अभ्यास करती हैं

बसंती कि ऐसा वर्ग या वर्गों (जैसा कि निर्धारित किया गया हो) की सूत्रधारी कंपनी के ऊपर सहायक कंपनियों की निर्धारित सदस्यों की संख्या से अधिक हो । परते ना हो।


उपयुक्त विवेचना के आधार पर यह कहा जा सकता है कि सूत्रधारी अथवा नियंत्रक कंपनी से आशय ऐसी कंपनी से है जो किसी अन्य कंपनी के प्रत्यक्ष रूप से अथवा किसी अन्य व्यक्ति के माध्यम से

  1.  उसके कुल निर्धारित अंशो के 50% आंसुओं को धारण करती हो । अथवा
  2.  उसके साथ 50% से अधिक मतों का अधिकार प्राप्त हुआ;
  3.  उसकी संचालक मंडल की गठन पर नियंत्रण हो; अथवा
  4. जो किसी ऐसी कंपनी की सूत्रधारी हो जो स्वयं ऐसी किसी अन्य कंपनी की सूत्रधारी है

  • सूत्रधारी कम्पनी के उद्देस्य 

  1.  विभिन्न कम्पनियो  के मध्य होने वाली प्रतिस्पर्धा को समाप्त करना 
  2.    कम्पनियो के एकीकरण सम्बन्धी  के दोषो को दूर करना 
  3.  धन का उचित एवं लाभदायक  रीति से विनियोजन करना 
  4.  ब्यवसाय  मे संलग्न विभिन्न कम्पनियो के प्रबंध का केन्द्रीकरण करना 
  5.  अर्जित  लाभ को अन्य साधनो में बिनियोजित करना | 
  6. समान व्यवसाय  में लगी पृथक अस्तित्व वाली विभिन्न कंपनियों की व्यावसायिक नीतियों  समानता लाना 
  7. सहायक कंपनियों  स्थितिं सुधारना एवं उनकी कुशलता में वृद्धि करना 


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