शेयर मार्केट काम कैसे करता है,शेयर मार्केट के प्रकार:

  शेयर मार्केट काम कैसे करता है ? शेयर मार्केट एक ऐसा बाजार है जहां लोग शेयर खरीदने और बेचने के लिए एक व्यापार का हिस्सा बन सकते हैं। यह वित्तीय बाजार एकत्रित धन को बढ़ावा देता है और उद्यमियों को पूंजीपति के लिए वित्तीय संसाधन प्रदान करने में मदद करता है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम शेयर मार्केट के काम के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे और यह जानेंगे कि शेयर मार्केट में व्यापार कैसे होता है। शेयर मार्केट के प्रकार: शेयर मार्केट विभिन्न प्रकार के होते हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं: प्राथमिक बाजार:   प्राथमिक बाजार में कंपनियां अपने पहले सार्वजनिक अवसरों के लिए अपने शेयर बेचती हैं। यह नई कंपनियों के लिए आवंटन का स्रोत होता है और इन्वेस्टरों को उनके शेयर खरीदने की सुविधा प्रदान करता है। सेकेंडरी बाजार:   सेकेंडरी बाजार में शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं, जो पहले से ही प्राथमिक बाजार में आवंटित हो शेयर मार्केट में पैसे कैसे लगाएं शेयर मार्केट में पैसे लगाना एक उच्च वापसी और निवेश का माध्यम हो सकता है, लेकिन यह निवेश शोध, जागरूकता और विचारशीलता की जरूरत रखता है। यदि आप शेयर मार्केट में

क्लासिफिकेशन ऑफ कंपनी ,classification of company under companies act 2013

कंपनी का वर्गीकरण classification of company

वर्तमान समय में कंपनी अनेकों प्रकार की होती हैं जिसको इस प्रकार से वर्गीकृत किया गया है जो निम्न है।

1. समामेलन के आधार पर(on the basis of Incorporation)

समामेलन के आधार पर कंपनी को निम्नलिखित तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है

1. राजाज्ञा द्वारा समामेलित कंपनी (company incorporated by Royal charter) 

वे कंपनियां जिनका निर्माण किसी विशेष उद्देश्य के लिए शाही आज्ञा पत्र द्वारा किया जाए, राजाज्ञा द्वारा समामेलित कंपनीया कहलाती हैजैसे -ईस्ट इंडिया कंपनी, बैंक ऑफ इंग्लैंड आदि इस प्रकार की कंपनियों की स्थापना 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध से पूर्व तक होती रही है वर्तमान में भारत में ऐसी कंपनियां विद्यमान नहीं है

2. संसद की विशेष अधिनियम द्वारा समामेलित कम्पनी (corporate companies by special act of parliament)

राष्ट्रीय महत्व के कार्यों के लिए ऐसी कंपनियों की स्थापना संसद द्वारा पृथक अधिनियम पारित कर की जाती है। जैसे- औद्योगिक वित्त निगम, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया,राज्य वित्त निगम , जीवन बीमा निगम आदि।

3. कंपनी अधिनियम द्वारा समामेलित कंपनी (company incorporated by Companies Act)

वे कम्पनियां जिनका निर्माण तथा समामेलन भारतीय कंपनी अधिनियम, 2013 या इससे पूर्व के कम्पनी अधिनियम के अंतर्गत किया गया हो।, कंपनी अधिनियम द्वारा सम्मिलित कम्पनियां कहलाती हैं।

2. दायित्व के आधार पर (on the basis of liability)

कंपनी अधिनियम द्वारा समामेलित कम्पनियां दायित्व के आधार पर दो प्रकार की होती हैं

1. सीमित दायित्व वाली कम्पनियां(Limited liability companies)

ऐसी कंपनियां जिनके सदस्यों का दायित्व उनके द्वारा लिए गए अंशु के अंकित मूल्य तक अथवा प्रदान की गई गारंटी तक सीमित हो, सीमित दायित्व वाली  कम्पनियां   कहलाती है  सामान्यतः सीमित दायित्व वाली कम्पनियां को निम्न दो भागों में विभक्त किया जा सकता है। -
*अंशो द्वारा सीमित दायित्व वाली कम्पनी  󠀴󠀷󠀷󠀷󠀷
*गारंटी (प्रत्याभूति) द्वारा सीमित दायित्व वाली कम्पनी
अंशो द्वारा सीमित दायित्व वाली कम्पनी में  सदस्यों का दायित्व अंशो की अंकित मूल्य तक ही सीमित होता है धारा 2(22) गारंटी द्वारा सीमित दायित्व वाली कम्पनी में कम्पनीकी सदस्य कंपनी को इस बात की गारंटी देते हैं कि कंपनी के बंद होने पर, कंपनी की संपत्तियों से राशि वसूल ना होने पर वह सीमा नियम में उल्लेखित राशि के अंशदान के लिए उत्तरदाई होंगे धारा 2(21)

2. असीमित दायित्व वाली कम्पनियां (unlimited liability companies)

कम्पनी अधिनियम, 2013 की धारा 2(92) के अनुसार, "ऐसी कम्पनियां जिनके सदस्यों का दायित्व किसी भी प्रकार से सीमित न हो असीमित दायित्व वाली कम्पनियां कहलाती है।"

3. अंशो के हस्तांतरण के आधार पर (on the basis of transferability of share)

पशु के हस्तांतरण के आधार पर कंपनियों को निम्न दो भागों में वर्गीकृत किया गया है  (उचंत खाता किसे कहते है)

1. प्राइवेट कम्पनी या आलोक प्रमंडल (private company)

कम्पनी अधिनियम, 2013 की धारा 2(68) के अनुसार प्राइवेट कंपनी का आशय एक ऐसी कंपनी से है जो अपने अंतर नियमों द्वारा अपने अंशो के  हस्तांतरण पर प्रतिबंध लगाती है एक व्यक्ति की कम्पनी को छोड़कर, अपनी सदस्यों की संख्या 200 तक सीमित रखती है।वह अपनी किसी भी प्रकार की प्रतिभूति की क्रय के लिए जनता से अभिदान प्राप्त करने के लिए निमंत्रण नहीं देती हो ।

2. पब्लिक कम्पनी या  आलोक प्रमंडल (public company)

कंपनी अधिनियम की धारा 2(71) के अनुसार- "पब्लिक कम्पनी से आशय ऐसी कम्पनी से है। जो प्राइवेट कंपनी नहीं है। यदि एक कम्पनी, किसी कम्पनी की सहायक कम्पनी जो पहले  प्राइवेट कम्पनी नहीं है तो वह इस अधिनियम में इस उद्देश्य के लिए पब्लिक कम्पनी मानी जाएगी, चाहे वह नियम के अनुसार प्राइवेट कम्पनी के रूप में कार्यरत हो।"

4. स्वामित्व के आधार पर (on the basis of ownership) 

स्वामित्व के आधार पर  कम्पनी को दो  भागों में बांटा गया है

1. सरकारी कम्पनी (government company)

कम्पनीअधिनियम 2013 की धारा 2(45) के अनुसार, सरकारी कम्पनी सिया से ऐसी कम्पनी से है जिसकी चुकता अंशु जी का कम से कम 51 % भाग  केंद्रीय सरकार अथवा किसी भी राज्य सरकार अथवा अंशत केंद्रीय सरकार एवं अंशत: एक या अधिक राज्य सरकारों अथवा इन सरकारों की स्वामित्व वाली किसी भी कम्पनी अथवा वैधानिक निगम के पास अलग-अलग अथवा सामूहिक रूप से हो।" तथा वह कम्पनी जो सरकारी कम्पनी की सहायक कम्पनी है।        

2. गैर सरकारी कम्पनी (non government company)

गैर सरकारी कम्पनी से आशय ऐसी कम्पनी से है जो सरकारी कम्पनी नहीं है । भारत में गैर सरकारी  कंपनियों की प्रधानता है।

5. इकाई के नियंत्रण के आधार पर (on the basis of control of unit)

इकाई के नियंत्रण के आधार पर कम्पनी को निम्न तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है।

1. स्वतंत्र कम्पनी ( independent company)

स्वतंत्र कम्पनी से आशय  ऐसी कम्पनी से है जो अपना कार्य स्वयं अकेले ही स्वतंत्रतापूर्वक करती है तथा किसी अन्य संस्था द्वारा नियंत्रित नहीं होती है। ऐसी कम्पनियां किसी अन्य कम्पनी यो की सहायक कम्पनियां या सूत्रधारी कम्पनियां नहीं होती है।

2. सूत्रधारी कम्पनी (holding company)

किसी अन्य कम्पनी की प्रबंध पर नियंत्रण स्थापित करने वाली कम्पनी नियंत्रक या सूत्रधारी कम्पनी कहलाती है कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 2(46) अनुसार,"एक कम्पनी या एक से अधिक कम्पनी की  सूत्रधारी कम्पनी उस समय मानी जाएगी जब अन्य कम्पनी इसकी सहायक कम्पनी हो ।"  (कंपनी की परिभाषाएं)

3. सहायक कम्पनी (subsidiary company)

कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 2(87) के अनुसार," कोई भी कम्पनी अन्य कम्पनी की सहायक कम्पनी तब होती है जिस पर कोई  सूत्रधारी कम्पनी-
*कोई अन्य कंपनी इस कंपनी के संचालक मंडल के गठन का पर नियंत्रण रखती हो
* इस कम्पनी की कुल क्षमता अंश पूंजी के आधे से अधिक भाग का स्वयं या इसकी 1 या इससे अधिक सूत्रधारी कम्पनियां धारण करती हो।
*उस तृतीय कम्पनी की सहायक  है जो स्वयं सहायक कम्पनी है।  अंश पूँजी के प्रकार

6. राष्ट्रीयता के आधार पर (on the basis of nationality)

राष्ट्रीयता के आधार पर कम्पनी को दो भागों में बाटा गया है 

1. देशी या भारतीय कम्पनी ( domestic Indian company) 

वे सभी कम्पनीयां जिनका  निर्माण भारत में कम्पनी अधिनियम अथवा अन्य किसी अधिनियम के अधीन हुआ हो, भारतीय अथवा देसी कम्पनीयां कहलाती हैं।

2. विदेशी कम्पनी ( foreign company)

भारत में व्यापार करने वाली ऐसी कम्पनियां जिनका समामेलन भारत के बाहर हुआ हो, विदेशी कम्पनीयां कहलाती हैं।

7.  अन्य आधार पर ( on the other basis)

1. सूचीबद्ध कम्पनी (listed company)

कम्पनी अधिनियम,2013 की धारा 2(52) के अनुसार-
" सूचीबद्ध कम्पनी से आशय ऐसी कम्पनी से है जिसकी प्रतिभूतियां किसी भी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हो"     (कंपनी की विशेषताएं)

2. एक व्यक्ति की कम्पनी (one person company) 

कम्पनी अधिनियम ,2013 की धारा 2(62) के अनुसार -
"एक व्यक्ति की कम्पनी से आशय ऐसी कम्पनी से है जिसमे केवल एक व्यक्ति कम्पनी का सदस्य हो यह केवल प्राइवेट कम्पनी ही हो सकती है।"

3. छोटी कम्पनी (small company) 

कम्पनी अधिनियम,2013 की धारा 2(85) के अनुसार छोटी कम्पनी से आशय पब्लिक कम्पनी को छोड़कर ऐसी कम्पनी से है -
  1. जिसकी चुकता अंश पूजी 50 लाख रुपए से से अधिक ना हो अथवा इससे अधिक राशि निर्धारित करनी पर पांच करो से अधिक ना हो अथवा
  2. गत वर्ष के लाभ हानि विवरण के अनुसार उसका टर्नओवर 2  करोड़ से अधिक ना हो अथवा अधिक राशि निर्धारित करने पर 20 करोड़ से अधिक न हो ।

परन्तु यह निम्न परिस्थितियों में नहीं लागू होगा -
  1. एक सहायक कम्पनी या सूत्रधारी कम्पनी
  2. धारा 8 के अधीन पंजीकृत एक कम्पनी
  3.  किसी कम्पनी या निगमित संस्थान जिसका निर्माण किसी विशेष अधिनियम के द्वारा किया गया हो

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