ख्याति मूल्याङ्कन की विधिया ,अधिलाभ विधि किसे कहते है? , adhilabh ka mulyankan kaise karte hai
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ख्याति मूल्याङ्कन की विधिया
2 अधिलाभ विधि किसे कहते है? what is super profit method
हेलो स्टूडेंट तो आप लोग कैसे हैं आशा करते हैं अच्छे ही होंगे तो आज हम लोग पढ़ने वाले हैं अधिलाभ विधि सुपर प्रॉफिट मेथड चलिए शुरू करते हैं अगर आपको ख्याति के बारे में जानना है तो इस लिंक पर क्लिक करें जो ब्लू कलर के हैं गुडविल goodwill क्या है? ख्याति का अर्थ एवं परिभाषा, ख्याति कितने प्रकार की होती है?
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अधिलाभ विधि
इस विधि के अंतर्गत अधिलाभ की राशि का वर्षों की संख्या से गुणा कर ख्यात की गणना निम्नानुसार की जाती है।
ख्याति=अधिलाभ× वर्षों की संख्या
Goodwill= super profit × number of years
अधिलाभ (super profit)
सामान्यतः अपेक्षित लाभ की तुलना में कमाया गया अधिक लाभ अधिलाभ कहलाता है। इसकी गणना निम्न प्रकार की जा सकती है
अधिलाभ =वास्तविक औसत लाभ-सामान्य लाभ
Super profit = actual average profit - normal profit
इसमें वास्तविक औसत लाभ की गणना औसत लाभ विधि की भांति ही की जाती है तथा सामान्य लाभ की गणना निम्नानुसार की जाती है
सामान्य लाभ = औसत नियोजित पूंजी×सामान्य दर /100
normal profit = average capital employed × normal rate/100
यदि फर्म अधिलाभ की स्थिति में है तो ख्याति का सकारात्मक मुल्ले होगा, इसके विपरीत यदि फार्म में अधिलाभ की स्थिति ना हो तो ख्याति का मूल्य नकारात्मक होगा
वर्षों की संख्या - वर्षों की संख्या का निर्धारण व्यापार की स्थिति, सरकारी नीतियां, आदि पर निर्भर करता है। इस संबंध में सामान्यतः तीन या पांच वर्षों की संख्या उचित मानी जा सकती है।
उदाहरण के लिए -31 मार्च 2020 एक फर्म की पूंजी ₹200000 है उसने 31 मार्च 2021 को समाप्त वर्ष के लिए 60000 लाभ अर्जित किया इस अवधि में औसत फर्म लाभ 17% की दर से अर्जित करती है तो अधिलाभ होगा
फार्म का लाभ=60,000
सामान्य लाभ ( 200000 ×17/ 100) = 34000
अधिलाभ = 60,000-34000
= 26000
ख्याति का मूल्य= अधिलाभ × क्रय वर्षों की संख्या( अनुमानित 5 वर्ष)
= 26000× 5 = 130000
औसत नियोजित पूंजी की गणना
औसत नियोजित पूजा की गणना के लिए व्यापार में लगे समस्त चल एवं अचल संपत्तियों (ख्याति, गैर व्यापारिक संपत्तियां, विनियोग, प्रारंभिक व्यय, लाभ हानि , विवरण पत्र की हानि, अंशो एवं ऋणपत्रों पर कमीशन, बट्टा, आदि को सम्मिलित ना करते हुए) वास्तविक मूल्य अर्थात बाजार मूल्य अथवा वसूली मूल्य के योग में से अल्पकालीन एवं दीर्घकालीन ऋणों की राशि (कंपनी की दशा में पूर्वाधिकार अंश पूंजी की राशि) घटाकर व्यापार में नियोजित पूंजी की राशि ज्ञात कर ली जाती है। इसमें वर्ष में लाभ की आधी राशि घटाकर औसत नियोजित पूंजी ज्ञात कर ली जाती है।
इसकी गणना वर्ष के प्रारंभ एवं वर्ष के अंत की पूंजी के योग को दो से विभक्त कर अथवा वर्ष के अंत की पूंजी में चालू वर्ष का आधा लाभ घटाकर अथवा वर्ष की प्रारंभिक की पूंजी में से चालू वर्ष का आधा लाभ जोड़कर भी किया जा सकता है।
सामान्य दर की गणना
सामान्य दर वह दर है जिसे व्यवसाई सामान्यता: व्यवसाय से प्राप्त करने की अपेक्षा रखता है इस दर से कम लाभ होने पर भी अपना व्यवसाय प्रारंभ नहीं करते। सामान्य लाभ दर पर विचार करते समय व्यवसाय की प्रकृति, सन्निहित जोखिम, उचित प्रबंधकीय एवं अन्य संबंधित परिस्थितियों को अवश्य ध्यान में रखा जाना चाहिए। प्राय प्रश्न में इसका स्पष्ट उल्लेख होता है। स्पष्ट उल्लेख ना होने पर इसकी गणना ब्याज की सामान्य दर तथा जोखिम के अतिरिक्त दर का योग कर की जा सकती है।
इसी निम्नानुसार अधिक स्पष्ट समझा जा सकता है।
ख्याति = अधिलाभ × वर्षों की संख्या
अथवा
ख्याति = ( वास्तविक औसत लाभ - सामान्य लाभ)×वर्षों की संख्या
सामान्य लाभ = औसत नियोजित पूंजी × सामान्य दर/100
औेसत नियोजित पूंजी = [गैर व्यापारिक संपत्तियों को छोड़कर समस्त वास्तविक संपत्तियां - (बाह्य दायित्व +पूर्वाधिकार अंश पूंजी+चालू वर्ष का आधा लाभ)]
अथवा
(प्रारंभिक पूंजी + अंतिम पूंजी )/2
अथवा
वर्ष के अंत की पूंजी - चालू वर्ष का आधा लाभ
अथवा
वर्ष के प्रारंभ की पूंजी + चालू वर्ष का आधा लाभ
अगली विधि जानने के लिए क्लिक करे -ख्याति मूल्याङ्कन की विधिया , ख्याति का मूल्यांकन पूंजीकरण विधि कैसे करते है ?
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