ख्याति मूल्याङ्कन की विधिया
5 ख्याति मूल्यांकन की क्रय प्रतिफल विधि purchase consideration method
इस विधि के अंतर्गत ख्याति की गणना क्रय मूल्य की राशि में से शुद्ध संपत्तियों का मूल्य घटाकर की जाती है।
शुद्ध संपत्तियों के मूल्य की गणना क्रय की गई वार्षिक संपत्तियों
(अवास्तविक संपत्तियों जैसे- प्रारंभिक व्यय,अंशो एवं ऋणपत्रो पर कमीशन आदि को छोड़ कर ) की क्रय मूल्य (बाजार मूल्य या वसूली मूल्य) मैं से स्वीकार किए गए दायित्वों की राशि घटाकर की जा सकती है।
सूत्र:
शुद्ध संपत्तियां=वास्तविक संपत्तियां-स्वीकार किए गए दायित्व
ख्याति =क्रय मूल्य -शुद्ध संपत्तियां
नोट- यदि क्रय मूल्य में से शुद्ध संपत्तियों का मूल्य अधिक हो तो ख्याति शून्य होगी।
6 ख्याति मूल्याङ्कन की पारस्परिक सहमति विधि (Mutual agreement method)
इस विधि के अंतर्गत ख्याति का मूल्यांकन क्रेता एवं विक्रेता कि पारस्परिक सहमति के आधार पर अथवा दोनों पक्षों (क्रेता एवं विक्रेता) की सहमति से किसी तीसरे स्वतंत्र पत्रकार द्वारा किया जाता है।
इस विधि का प्रयोग उन व्यवसायों में किया जाता है जहां व्यवसाय की लभोपर्जन शक्ति के आंकड़े उपलब्ध नहीं होते।
7 ख्याति मूल्याङ्कन की सकल प्राप्ति विधि (gross receive method)
इस विधि में ख्याति की गणना लाभ के स्थान पर निश्चित वर्षों की आवर्ती प्रकृति की प्राप्तियो के औसत को किसी निश्चित संख्या से गुणा कर की जाती है। इस विधि में लाभों को आधार न मानकर कुल प्राप्तियां/ आगमन/फीस को आधार माना जाता है इस विधि का प्रयोग पेशेवर व्यक्तियों जैसे : डॉक्टर ,इंजीनियर ,वकील, चार्टर्ड अकाउंटेंट, द्वारा किया जाता है।
कंपनी में ख्याति की गणना
एक कंपनी में ख्याति की गणना में निम्न तथ्य ध्यान में रखे जाने आवश्यक है।
1 नियोजित पूंजी की गणना
एकाकी व्यापार एवं साझेदारी व्यापार में सामान्यतः औसत नियोजित पूंजी की गणना वास्तविक संपत्तियों में से बाह्य दायित्व की राशि तथा लाभ की आधी राशि घटक की जाती है।
किंतु कंपनी की दशा में दायित्व में स्पष्ट संकेत के अभाव में पूर्वाधिकार अंश पूंजी एवं ऋण पत्रों की राशि भी घटाई जानी चाहिए।
2 औसत लाभ की गणना
यदि पूर्वाधिकार अंश पूंजी की राशि दायित्व की भांति वास्तविक संपत्तियों में से घटा दी गई हो तो इन अंशो पर लाभांश की राशि भी औसत लाभ में से घटा दी जानी चाहिए इसी प्रकार ऋण पत्र की राशि दायित्व में सम्मिलित होने पर ऋण पत्र पर ब्याज की राशि भी लाभ में से घटाई जानी चाहिए।
3 सामान्य लाभ दर की गणना
यदि प्रश्न में लाभ की सामान्य दर का उल्लेख ना हो तो ऐसी स्थिति में उसी कंपनी अथवा उसके सामान अन्य कंपनी के गत वर्षो में घोषित लाभांश की औसत दर ही सामान्य लाभ की दर मानी जा सकती है।
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