भारतीय बहीखाता प्रणाली की विशेषताएं और लोकप्रियता के कारण , भारतीय बहीखाता प्रणाली से आशय
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भारतीय बहीखाता प्रणाली से आशय
भारतीय बहीखाता प्रणाली की विशेषताएं और लोकप्रियता के कारण
भारतीय बहीखाता प्रणाली आज भी लोकप्रिय हैं। इसकी विशेषता है इसका कारण है जो कि निम्नलिखित है।
1 सरलता
यह पद्धति बहुत ही सरल है। कम पढ़ा लिखा व्यक्ति भी इसे कुछ ही समय में इसको सीख सकता है।यहां तक कि सामान्य पढ़ा लिखा व्यक्ति भी इस पद्धति को सीकर हिसाब किताब आसानी से रख सकता है।
2 मितव्य
यह पद्धति अत्यंत सस्ती है। एक तो बाहियो की संख्या कम होती है। दूसरा रजिस्टर ओं की तुलना में बढ़िया सस्ती पड़ती हैं तीसरा बहीयो को लिखने वाला भी कम वेतन में मिल जाता है।
3 देशी भाषा का प्रयोग
भारतीय प्रणाली में लेखा किसी भी भारतीय भाषा में किया जा सकता है । हिंदी, उर्दू, गुजराती, मराठी,गुरुमुखी , सिंधी, बांग्ला आदि। सभी भाषाओं में इसे लिखा जा सकता है उत्तर भारत में अधिकांश व्यापारी इसे मुड़िया भाषा में लिखते है।
4 गोपनीयता
देश एवं स्थानीय भाषा में लिखे जाने के कारण बाहरी व्यक्ति इन खातों को आसानी से समझ नहीं सकता इसलिए इसे लिए बहीखाते गोपनीय बने रहते हैं।
5 वैज्ञानिकता
भारतीय बहीखाता पूर्ण रूप से वैज्ञानिक है। और दोहरा लेखा प्रणाली पर ही आधारित है। इसमें हमेशा एक ही पक्ष में लिखा किया जाता है जैसे यदि प्रारंभिक पुस्तकों में कोई लेखा जमा पक्ष में किया जाता है तो अंत तक वह जमा पक्ष में ही लिखा जाएगा, अंग्रेजी प्रणाली के सामान्य विपरीत पक्षों में नहीं
6 लोचता
इस प्रणाली में लोच्ता का गुण पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है।अर्थात आवश्यकता पड़ने पर व्यापार वृद्धि के साथ-साथ बहियो की संख्या बढ़ाई जा सकती है। और व्यापार के घटने के समय बहियों की संख्या घटाई जा सकती है। अतः परिवर्तित परिस्थितियों में इसमें अनुकूल परिवर्तन किया जा सकता है।
7 कम बहियाे का प्रयोग
इस प्रणाली में केवल रोकड़ बही व खाता बही रखकर ही काम चलाया जा सकता है। आवश्यकतानुसार व सुविधा के लिए नकल बहिया (जमा नकल बही व नाम नकल बही) भी रखी जा सकती है।
8 सिद्धांत
भारतीय बहीखाता प्रणाली की लिखने की कुछ पक्के सिद्धांत हैं। जिनके कारण भारत पर अंग्रेजी सम्राट के दीर्घकालीन शासन के बाद भी अंग्रेजी प्रणाली लोकप्रिय ना हो सकी और भारतीय बहीखाता प्रणाली आज भी लोकप्रिय है।
9 सादगी
इसमें व्यवहारों का विवरण बाहियों में ही लिख दिया जाता है। जोड़ आदि भी वही वही लगा दिया जाता है जहां व्यवहारों का लेखक समाप्त होता है।
10 दिनांक
भारतीय बहीखाता प्रणाली में हिंदी मिति एवं संवत के साथ-साथ अंग्रेजी तारीख भी लिख दी जाती है।
भारतीय बहीखाता प्रणाली के गुण एवं दोष , भारतीय बहीखाता प्रणाली , भारतीय बहीखाता प्रणाली के दोष
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