शेयर मार्केट काम कैसे करता है,शेयर मार्केट के प्रकार:

  शेयर मार्केट काम कैसे करता है ? शेयर मार्केट एक ऐसा बाजार है जहां लोग शेयर खरीदने और बेचने के लिए एक व्यापार का हिस्सा बन सकते हैं। यह वित्तीय बाजार एकत्रित धन को बढ़ावा देता है और उद्यमियों को पूंजीपति के लिए वित्तीय संसाधन प्रदान करने में मदद करता है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम शेयर मार्केट के काम के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे और यह जानेंगे कि शेयर मार्केट में व्यापार कैसे होता है। शेयर मार्केट के प्रकार: शेयर मार्केट विभिन्न प्रकार के होते हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं: प्राथमिक बाजार:   प्राथमिक बाजार में कंपनियां अपने पहले सार्वजनिक अवसरों के लिए अपने शेयर बेचती हैं। यह नई कंपनियों के लिए आवंटन का स्रोत होता है और इन्वेस्टरों को उनके शेयर खरीदने की सुविधा प्रदान करता है। सेकेंडरी बाजार:   सेकेंडरी बाजार में शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं, जो पहले से ही प्राथमिक बाजार में आवंटित हो शेयर मार्केट में पैसे कैसे लगाएं शेयर मार्केट में पैसे लगाना एक उच्च वापसी और निवेश का माध्यम हो सकता है, लेकिन यह निवेश शोध, जागरूकता और विचारशीलता की जरूरत रखता है। यदि आप शेयर मार्केट में

भारतीय बहीखाता प्रणाली के गुण एवं दोष , bhartiya bahikhata pranali , भारतीय बहीखाता प्रणाली , भारतीय बहीखाता प्रणाली के दोष

                  भारतीय बहीखाता प्रणाली

भारतीय बहीखाता प्रणाली के गुण bhartiya bahikhata pranali

भारतीय बहीखाता प्रणाली में निम्नलिखित गुण पाए जाते हैं

1 मितव्ययी

भारतीय बहीखाता प्रणाली (bhartiya bahikhata pranali)के अंतर्गत उपयोग की जाने वाली बहिय  सस्ती होती हैं। यह विभिन्न आकार प्रकार  की भी मिलती है ।व्यापारी अपनी व्यापार की आवश्यकता अनुसार उन्हें खरीद सकता है।

2 टिकाऊ बाहिया

बाहीयो  का कागज काफी मजबूत और कबर काफी मजबूत होता है।इस कारण इन बहीयों को कई वर्षों तक आवश्यकतानुसार संभाल कर रख सकते हैं।

3 सलो ( कॉलम) का उपयोग खाने के लिए 

बहायो में पहले से ही सल  पड़े रहते हैं जो खनो का कार्य करते हैं अलग से रेखाएं नहीं खींचनी पड़ती है।

4 सरलता 

यह प्रणाली अत्यंत सरल होती है मंदबुद्धि वाला व्यक्ति कुछ समय में ही से सीख कर आसानी से हिसाब किताब रख सकता है।

5 देसी भाषा का प्रयोग

इस प्रणाली को लिखने के लिए किसी भी भारतीय भाषा या स्थानीय भाषा का प्रयोग किया जा सकता है।

6 लोचता 

इस प्रणाली में पर्याप्त लोचता पाई जाती है। व्यापारी व्यापार की आवश्यकता के हिसाब से बहीयों की संख्या कम या ज्यादा कर सकता है।

7 काली स्याही का प्रयोग

इस प्रणाली में बही खाता लिखने के लिए काली शाही का प्रयोग किया जाता था जो ज्यादा टिकाऊ रहती थी।

8 नियम

भारतीय बहीखाता प्रणाली लिखने के लिए नियम काफी लचीले होते थे। उनका कठोरता से पालन करना आवश्यक नही  था

9 कम अशुद्धियां

इस प्रणाली की रकम को दोबारा अलग-अलग लिखने से गलती ना कम होती थी।किसी व्यवहार में अगर कई मद हैं तो उनका जोड़ी एक बार और नीचे भी लगाया जाता था ।

10 मान्यता प्राप्त 

भारतीय बहीखाता प्रणाली न्यायालय, आयकर, विक्रय कर कानून द्वारा मान्यता प्राप्त है।

11 खाताबही में सरलता

भारतीय बहीखाता  प्रणाली में प्रारंभिक लेखों की पुस्तकों से खाते वही में खतौनी करना अत्यंत सरल है। क्योंकि इस प्रणाली में जमा पक्ष कि खतौनी जमा पक्ष में और नामें पक्ष की खतौनी नामे पक्ष में ही की जाती है।

12 संदर्भ 

खाता बही में खतौनी करते समय प्रारंभिक बहिंयो में पृष्ठ संख्या और खातों में पृष्ठ संख्या व मिती लिखते हैं । इसलिए कोई भी प्रविष्टि आसानी से पता लगाई जा सकती है। संदर्भ ढूंढने में कठिनाई नहीं होती ।

13 वैज्ञानिकता एवं पूर्ण पद्धति 

भारतीय बहीखाता प्रणाली दोहरा लेखा सिद्धांतों पर ही आधारित है इसलिए यह पूर्ण एवं वैज्ञानिक पद्धति है।

14 अंतिम खाते

इस प्रणाली के अंतर्गत लाभ हानि व चिट्ठा बनाया जाता है जिससे  व्यापार की आर्थिक परिणाम एवं आर्थिक स्थिति का पता आसानी से चल जाता है।

15 भारतीय संस्कृति की परिचायक

भारतीय बहीखाता प्रणाली का जन्म भारत में सदियों पूर्व हुआ था यह प्रणाली भारतीय संस्कृति एवं धर्म के अनुकूल है इसलिए इसमें लेखा शुरू करने से पूर्व इष्टदेव का स्मरण करना, खाते की नाम के आगे श्री, भाई का उपयोग करके व्यापारी को सम्मान देना भारतीय गरिमा के अनुकूल ही है यही कारण है कि आज भी अपने प्रणाली प्रचलित है।

भारतीय बहीखाता प्रणाली के दोष

भारतीय बहीखाता प्रणाली में वैसे कई दोष नहीं है यह पूर्ण रूप से वैज्ञानिक एवं परिपूर्ण प्रणाली है, हां दोहरा लेखा प्रणाली की तुलना में कई कमियां अवश्य हैं जो इस प्रकार    

1 असुविधा 

इस प्रणाली के अंतर्गत लंबी लंबी बहीया प्रयोग में लाई जाती है जिनके प्रयोग में काफी असुविधा होती है।

2 धोखाधड़ी की संभावना

भाइयों की सिलाई दोष पूर्ण होती है तथा पन्नों का क्रम संख्या भी नहीं छपी होती है डोरी को ढीला कर के किसी भी पन्ने को आसानी से निकला जा सकता है। इस प्रकार जाल साझी एव छल कपट की पूर्ण संभावना रहती है।

3 रोकड़ संबंधी दोष

इस पद्धति के अंतर्गत रखी जाने वाली रोकड़ बही में उधार लेन-देन का भी लिखा होता है जो उचित नहीं 

4 माल खाता

अधिकांश व्यापारी पद्धति के अंतर्गत माल खाता बना कर ही लाभ हानि ज्ञात करते है। जिससे सकल लाभ या हानि का ठीक-ठीक पता नहीं चलता।

5 समायोजन लेखो का न होना

इस पद्धति में अंतिम खाते बनाते समय प्राय समायोजन लखो का ध्यान नहीं रखा जाता है । इस प्रकार लेखे अवधि वास्तविक लाभालाभ का निर्धारण विवेक पूर्ण नहीं होता

6 संचिती की व्यवस्था ना होना

इस पद्धति में संचिति करने की कोई व्यवस्था नहीं होती है अतः संकटकालीन स्थिति में काफी घटनाएं होती है।

7 पूंजीगत एव लाभगत मदो में अंतर ना होना

इस  पद्धति में अंतर्गत प्राय पूंजीगत  लाभ गत के मादो में अंतर नहीं पाया जाता जिससे लाभ हानि का निर्धारण विवेक पूर्ण एव यथार्थ रूप से नहीं हो पाता।

8 बैंक तथा छूट की व्यवस्था ना होना

इसमें बैंक व छूट के लिए अलग से कोई खाना नहीं होता है

9 लंबी प्रक्रिया

इसमें कच्ची और पक्की दोनों रोकड़ बही रखी जाती है जिनसे कार्य दोगुना हो जाता है।

 

 clich for view भारतीय बहीखाता प्रणाली से आशय


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